Sunday 15 August 2021

सूरज से समृद्ध उत्तर प्रदेश!

    

बदलते विश्व के संदर्भ में पर्यावरण की रक्षा हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है

"पृथ्वी हर आदमी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रदान करती है, लेकिन व्यक्ति की लालच को पूरा करने के लिए नहीं।"

    हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की कही गई इस बात को आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि हम चाहे जितनी भी तरक्की कर लें यदि हम प्रकृति का सम्मान नहीं करेंगें तो प्रकृति में मौजूद ऊर्जाओं को भी हम प्राप्त नहीं कर सकेंगे

    आज़ादी के बाद से अब तक कांग्रेस सरकारों के कार्यकालों में पर्यावरण को महत्ता देते हुए जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1974, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 और वायु प्रदूषण कानून से संबंधित कई कानून बनाए गए

वहीं उर्जा के उत्पादन के संदर्भ में कुछ तथ्यों को जानना बहुत आवश्यक है - 

    1947 में हमारे देश की आज़ादी के समय सिर्फ 1362 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन होता था; जबकि आज के समय में लगभग 1,70,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। किन्तु इसके बाद भी हमारे देश में बिजली की मांग हर वर्ष लगभग 7% बढ़ रही है।

    उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड का गठन कम्पनी अधिनियम 1956 के अन्तर्गत 25-अगसत-1980 को किया गया थाजिससे कि राज्य में नये ताप विद्युत ग्रहों का निमार्ण किया जा सके।

    आज़ादी के समय देश में 60% बिजली उत्पादन का काम निजी कंपनियों के हाथ में था जबकि आज लगभग 80% फीसदी बिजली का उत्पादन सरकारी क्षेत्र के हाथों में है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में भी पावर सेक्टर काफ़ी तेजी से आगे बढ़ा है, जिसके चलते राज्य में कृषि और उद्योग सेक्टर का भी तेजी से विकास संभव हो सका है।

    मगर आज के परिदृश्य में जब इन्हीं सब चीज़ों की बात की जाती है तो देखा गया है कि तो इस पूरी व्यवस्था में कई समस्याएं हैं। वित्तीय वर्ष 2016-17 के अंत तक प्रदेश के विद्युत वितरण निगमों का सकल घाटा 73986.72 करोड़ रुपए था। आज पूरे प्रदेश की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। कई जिलों में विघुत व्यवस्था केवल नाम मात्र है। यहां तक कि कई बार बिजली कर्मचारियों को भी अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठना पड़ता है। 

    2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के द्वारा सरकार गठन के एक माह के अंदर जिले में 24 घंटेतहसील में 20 घंटे और गांव में 18 घंटे बिजली देने का वादा किया गया था; जो पूरी तरह खोखला साबित हुआ है। उत्तर प्रदेश में सैकड़ों ऐसे क्षेत्र हैं जहां वादे के अनुसार 24 घंटे बिजली तो नहीं आती बल्कि 24 घंटे में कम से कम 5-6 बार बिजली चली अवश्य जाती है। इसलिए प्रदेश के हर जनपद हर गांव तक बिजली पहुंच सके और प्रदेश की जनता उससे लाभान्वित हो सके इसके लिए प्रकृतिक उर्जा व अक्षय उर्जा के नए माध्यमों को अवश्य बढ़ावा दिया जाना चाहिए। 

    यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान अप्रैल 2005 में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना की शुरूआत देश के सभी ग्रामीण परिवारों को विद्युत पहुंचाने के उद्देश्य से की गई थी। इस योजना के तहत गरीबी रेखा से जुड़े सभी परिवारों को मुफ्त में कनेक्शन उपलब्ध कराए जाते हैं; साथ ही योजना के तहत इसमें लगने वाला पूंजी अनुदान का 90% भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता रहा है।

    सौर्य उर्जा से ग्लोबल वार्मिंग जैसी अन्य प्रकृतिक समस्याओं का समाधान हो सकती है यही कारण है कि 2006 में कांग्रेस सरकार द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा के महत्व को देखते हुए अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय (एमएनईएस) को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का नया नाम दिया गया था। 

    वर्ष 2009 में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन योजना की शुरुआत जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के एक हिस्से के रूप में की गई थी। इस मिशन का लक्ष्य था कि 2022 तक 20 हजार मेगावाटा क्षमता वाली-ग्रिड से जुड़ी सौर बिजली पैदा करना और 2022 तक दो करोड़ सौर लाइट सहित 2 हजार मेगावाट क्षमता वाली गैर-ग्रिड सौर संचालन की स्थापना करना था। 24 जुलाई 2014 की एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार मिशन का पहला चरण यूपीए - 2 के कार्यकाल में ही पूरा कर लिया गया था। यह कांग्रेस की दूरदर्शी नीतियों का प्रभाव है कि आज सौर ऊर्जा के उत्पादन में राजस्थान सरकार देश में प्रथम स्थान पर है। 

    आज देश के नागरिकों और सरकार में शामिल लोगों को ये समझने की आवश्यकता है कि पर्यावरण हित से बड़ा देशहित का कोई मुद्दा नहीं हो सकता। हमें जरूरत है कि हम अपनी ऊर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति जागरूकता और सरकारों को बाध्य करने के लिए लगायेंजिससे कि हमारा प्रदेश सूरज से समृद्ध हो सके

Tuesday 10 August 2021

नाम बदल/ यू - टर्न सरकार


    पुरस्कार का नाम बदलने से यह सच नहीं छुपाया जा सकता कि मोदी सरकार के द्वारा इस वर्ष खेल बजट में 230.78 करोड़ रुपए की कटौती की गई है। 

    भारतीय जनता पार्टी एक ऐसी पार्टी जिसके पास जनता को बताने के लिए अपनी सोच व अपनी नीतियों के आधार पर जनहित में किए जाने वाले एक भी कार्य का नाम नहीं है। यही करण है कि आज भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस पार्टी के कार्यकाल में शुरू की गई योजनाओं व कार्यों और यहां तक पुरस्कारों का नाम बदलकर उनपर अपना अधिकार जमाने का प्रयास कर रही है। 
    
    क्या भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा भारतीय खिलाडियों को पूरे विश्व में ख्याति दिलाने वाले मेजर ध्यानचंद के नाम से देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए कोई नया पुरस्कार घोषित नहीं किया जा सकता था? मगर सरकार द्वारा उठाया गया राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलने का यह कदम दर्शाता है कि भारतीय जनता पार्टी के और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मन में हमारे देश के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर शहीद होने वाले पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी के लिए कितनी द्वेष भावना और कुंठा भरी हुई है। 
    
    गौरतलब है कि नाम बदलने या फिर अपनी ही बात से पीछे हटने का कार्य भारतीय जनता पार्टी के द्वारा पहली बार नहीं किया गया है। यही भारतीय जनता पार्टी है जो श्री राजीव गांधी जी द्वारा लाए गए कंप्यूटर का विरोध करती थी मगर आज स्वयं सोशल मीडिया का भरपूर प्रयोग करती है और सब कुछ डिजिटलाइज़ करने की बात करती है। ये वही भारतीय जनता पार्टी है जो किसी दौर में एफडीआई लाए जाने का विरोध करती थी मगर आज अपने कार्यकाल में देश की रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में 100 फीसदी एफडीआई लेकर आई है। यहां तक कि आज सरकार देश की गरीब जनता तक मुफ्त राशन पहुंचाने के लिए जो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अन्न महोत्सव मना रही है, वो नीति तक देश की जनता को भोजन देने के लिए खाद्य सुरक्षा बिल के रूप में कांग्रेस पार्टी द्वारा ही बनाई गई थी। 

    ऐसे में जब अपनी ही बातों से मुकरने वाली यू-टर्न सरकार ये कहती है कि जनआग्रह पर खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद पुरस्कार कर दिया गया है तो ये सवाल भी ज़रूरी हो जाता है कि, -  
  • क्या मोदी सरकार 9 महीने से सड़कों पर आंदोलन कर रहे इस देश के अन्नदाता के आग्रह पर काले कृषि कानूनों को रद्द करेगी?
  • क्या मोदी सरकार इस देश के युवाओं को रोजगार देने का अपना वादा पूरा करेगी? 
  • क्या मोदी सरकार महंगाई से परेशान देश की जनता को राहत पहुंचाने का कार्य करेगी?
  • और क्या मोदी सरकार खेल बजट में कटौती करने के लिए इस देश के खिलाड़ियों से माफ़ी मांगेगी? 
    या हमेशा की तरह झूठ बोलकर, देश के दो महानायकों (एक युवा भारत की आधारशिला रखने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व० श्री राजीव गांधी जी और एक अपनी हॉकी के जादू के लिए पहचाने जाने वाले देश के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद जी) के बीच दीवार खींचकर देश की जनता को भ्रमित करने का कार्य करेगी। 

Wednesday 26 May 2021

राम नाम पर बनी सराकार को, रामनामी का डर सताया है...!!

 


 तुम जो इतना अपने धर्म को लेकर चीखते - चिल्लाते फ़िरते थे,

देखो ये क्या हुआ कि,

 तुम्हें तुम्हारे धर्म वाली अंतिम क्रिया भी नसीब न हुई,

और अब ये हो रहा है कि,

 तुम्हारी कब्रों पर तुम्हारे होने की आखिरी निशानी,

वो आखिरी चीज़ जो दुनिया से तुम्हें नसीब हुई,

वो रामनामी भी तुम्हारे ऊपर से हटाई जा रही है,

हुआ है ये कि राम नाम पर बनी सराकार को,

रामनामी का डर सताया है,

रोज़ अखबरों में सरकारी दावों की पोल खोलती,

तुम्हारी कब्रों की छाया है,

ये वही लोग हैं जिन्होंने,

सबको आपस में लड़ाया है...!!

तुम तो चले गए मगर तुम्हारे बाद,

कल को जब वहां मेला लगाया जाएगा,

जश्न मनाया जाएगा,

तो तुम्हारे परिजन उसी रेत पर,

जहां तुम दफ़नाए गए हो,

वहां अपनों के साथ,

खुशियां मनाएंगे,

वो तुम्हें याद तो करेंगे,

मगर तुम कहां दफ़न हो ये भूल जाएंगे!

तुम्हें ज़िन्दा रहकर क्या मिला?

तुम मरकर भी क्या पाओगे?

धर्म में बंटवारे का राग अलापने वाले,

अब कैसे हिन्दुत्व बचाओगे?

यही बेहतर है सबकी खातिर, 

कि अब भी जाग जाओ,

तुम्हें तोड़ने वाली सरकार के,

जाल में न आओ,

सारे भेदभाव छोड़कर,

संकट के समय में एक दूसरे का साथ निभाओ...!!







Tuesday 10 December 2019

बिटिया रानी

बिटिया रानी



इससे अच्छा है मर जाना तेरा, 
कोख के अन्दर बिटिया रानी, 
हर बार जब तुमने उड़ना चहा, 
इस कुंठित समाज ने भौंहें तानी, 
हर बार जब तुमने चाहा कि, 
तुम करो ज़रा सी मनमानी, 
किसी बेरहम दरिंदे ने फिर, 
नियत दिखाई हैवानी, 
तुम्हें बार - बार छूना चाहा, 
तुम्हें सड़कों पर फिर दौड़ाया, 
आग लगाकर तेरे जिस्म को, 
मिटा दी तेरी सभी निशानी, 
खबर तुम्हारी हुई शहर को, 
पर न जा पाईं तुम पहचानी, 
इससे अच्छा है मर जाना तेरा, 
कोख के अन्दर बिटिया रानी... 
आस्था

Saturday 5 January 2019

सन्नाटा

सन्नाटा

कभी कभी कितना कुछ कहना होता है,
उन पर्दों से दीवारों से,
उन गुम्बदों से मीनारों से,
पानी के गिलास से,
खिलते मुरझाते गुलाब से,
आंखों के काजल से,
आसमां के बादल से,
मांझी की नाव से,
रेत पर चलते पांव से,
जलते हुए चिराग से,
बुझी हुई खा़क से,
समंदर की गहराई से,
खुद अपनी ही परछाई से,
उसके मासूम इशारों से,
आपस की तकरारों से,
कभी कभी कितना कुछ कहना होता है...
और फ़िर कुछ ऐसा होता है,
हर राज़ दिल में ही रहता है,
तुम कुछ भी नहीं कहते हो,
पर सन्नाटा ये कहता है...
कभी कभी कितना कुछ कहना होता है...
मगर उठती हुई हर आवाज़ को; दिल में ही रहना होता है...

Saturday 14 July 2018

उसने जाने के लिए सोचा...

वो जानती थी कि जिंदगी आसान नहीं है उसके लिए... और मौत भी मुश्किल होने वाली है...  एक-एक कर सबको दूर करती रही ख़ुद से ताकी उसके बाद किसी को उसके जाने से तकलीफ़ न हो... उसके अपनों को दर्द न हो... इसलिए अकेले दर्द में तड़पना बेहतर समझा... किसी को वक्त नहीं दिया एक बार भी खुद से मिलने का... उसने जाने के लिए सोचा कि बिना ग़म दिए जाना...

सूरज से समृद्ध उत्तर प्रदेश!

     बदलते विश्व के संदर्भ में पर्यावरण की रक्षा हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है । "पृथ्वी हर आदमी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ...